शनिवार, 7 जनवरी 2012

श्रीमद् भगवद्गीता - परमपूज्य बापूजी के अमृतमय वचन

श्रीमद् भगवद्गीता एक ऐसा ग्रन्थ है जो दिव्य ज्ञान से भरपूर है| इस ज्ञान रूपी अमृतपान से मनुष्य के जीवन में साहस, हिम्मत, समता, सहजता, स्नेह, शांति, सर्वजनहिताय भावना और धर्मं आदि दैवी गुण विकसित हो उठते हैं| इसके पठन व मनन से अधर्म और शोषण का मुकाबला करने का सामर्थ्य आ जाता है|

गीता जयंती के अवसर पर संत शिरोमणि परमपूज्य श्री आशाराम बापूजी ने श्रीमद् भगवद्गीता पर तात्विक प्रवचन किया है| बापूजी के प्रवचनों से कुछ अमृतमय अंश प्रस्तुत है, अवलोकन व श्रवण करें:




श्रीमद् भगवद्गीता का देवत्व



श्रीमद् भगवद्गीता में शांति पाने के ६ उपाय



श्रीमद् भगवद्गीता सार भाग - १



श्रीमद् भगवद्गीता सार भाग - २



श्रीमद् भगवद्गीता सार भाग - ३



श्रीमद् भगवद्गीता सार भाग - ४




श्रीमद् भगवद्गीता सार भाग - ५



श्रीमद् भगवद्गीता सार भाग - ६




श्रीमद् भगवद्गीता सार भाग - ७


सादर,

हेमंत कुमार दुबे

www.hemantdubey.com
www.ramcharitmanas.in

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